This is a peom written by Abhinav Sahu at 20th of April 2015 on Monday.
यह कविता अभिनव साहू द्वारा २० अप्रैल २०१५ को सोमवार को लिखी गई है।
१——
एक था दिन , और एक थी रात,
उन वैज्ञानिकों की यह वारदात।
जब उनकी मां ने दी डाट,
भाग कुलाटी भागम भाग।।
२——
देखा अपने आप को और,
देखा दूसरों के आविष्कार।
थक गया वो बना बना के,
कई और नये आविष्कार।।
३——
एक था ग्राहम बैल,१८४३ था साल,
बजाई फोन की घंटी,सं १८४७ के साल।
दीमक पूरा था पर कम थे बाल,
बेंजामिन फ्रैंकलिन ने पर किया कमाल।।
४——
भेजा काम करा,पर ज्यादा ही कर डाला था,
अल्बर्ट आइंस्टीन ने यह चमत्कार कर डाला था।
पाया नोबेल पुरस्कार,साथ ही प्रथम जगह पाया था,
बल्ब में माता–पिता का नाम रोशन करके घर उसने चमकाया था।।
५——
नाम तो उसका पंडितों सा, ० का आविष्कार किया,
आर्यभट्ट के नाम पे भारत ने सैटेलाइट लॉन्च किया।
सिर था तकला,छोटी चोटी पुजारी ने क्या काम किया,
चला गया वो आसमान में,π की संख्या २२/७ किया।
६——
आशाएं बड़ी थी, और कद भी बड़ा था,
घड़ी तंगके,बड़े चश्मे लिया था।
कहा लोगों ने बापू तुझे पर.....
लाठी मारके अंग्रजों का हाल बेहाल किया था।।
——–—–··
अभिनव साहू
Comments
Post a Comment